인기 검색 계정
Dr Sudhanshu Trivedi(@sudhanshutrivediofficial) 인스타그램 상세 프로필 분석: 팔로워 2,705,213, 참여율 1.36%
@sudhanshutrivediofficial
인증됨Dr Sudhanshu Trivedi
National Spokesperson of Bharatiya Janata Party (BJP) and Member of Rajya Sabha (Upper House of India Parliament)
https://whatsapp.com/channel/0029VaAnSuZEFeXr1Iq9HA0a@sudhanshutrivediofficial님과 연관된 프로필
@sudhanshutrivediofficial 계정 통계 차트
게시물 타입 분포
시간대별 활동 분석 (최근 게시물 기준)
@sudhanshutrivediofficial 최근 게시물 상세 분석
동영상 게시물 분석
여러 장 게시물 분석
@sudhanshutrivediofficial 최근 게시물
President Vladimir Putin arrives at Rashtrapati Bhavan, where President Smt. Droupadi Murmu Ji and PM Shri @narendramodi Ji warmly welcome him. He was accorded a ceremonial Guard of Honour on his arrival.
The utter contempt of Nehru ji about Hindu temples was just limited to Sriram Mandir Ayodhya and his attempt to rebuilt Babri mosque. He himself said that He was having a feeling of depression when he used to go into the big corridors of temples in South India, which he has mentioned on his speech on 17th of March 1959, he tried to stop the Raj Pramukh Jam Sahib and first President of India and then chairman of the constituent assembly. Dr Rajendra Prasad from going to inauguration ceremony of Somnath Mandir in his letter to Jam Saab on 24 April 1951. He made it very clear that he was totally against rebuilt of Somnath Temple. So the hatred against the highest and most revered symbols of Hindu Dharm is a generational legacy of Gandhi family.
मुझे लगता है कि कांग्रेस के नेताओं को अपने ही नेताओं के बारे में जानकारी लेने की आदत छूट गई है। पढ़ना-लिखना छोड़ दिया है। नेहरू–गांधी के बारे में भी उन्हें पता नहीं होता है। रक्षामंत्री माननीय राजनाथ सिंह जी ने जो कहा है, कि नेहरु जी ने बाबरी मस्जिद बनवाने का प्रयास किया था और सरदार पटेल ने उसका विरोध किया था तब नेहरु रूके। उसका स्रोत है “The Inside Story of Sardar Patel – Diary of Maniben Patel” पृष्ठ संख्या 24 है, जिसमें 1936 से 1950 तक के उनके तमाम करेस्पॉन्डेंस का उल्लेख है।
जनता ने जो जनादेश दिया है पहले हरियाणा, महाराष्ट्र, दिल्ली और अब बिहार उसके बाद कौन किसकी नजरों में चढ़ा है और कौन गिरा है, यह जनता भली-भांति जानती है। चुनावी हार-जीत अलग बात है, लेकिन चुनाव जीतने के लिए आप क्या-क्या हथकंडे अपनाएंगे? परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देना, भारतीय सेना में जाति का मुद्दा उठाना, इस तरह की बातें करने वाले लोग जनता की नजरों में गिरेंगे या चढ़ेंगे, यह मैं दर्शकों के विवेक पर छोड़ता हूं। जहां तक ड्रामे की बात है, हमारे विपक्ष के ही एक सांसद थे जो पूर्व उप-राष्ट्रपति महोदय की संसद की सीढ़ियों पर बैठकर मिमिक्री कर रहे थे और राहुल गांधी जी उसका वीडियो बना रहे थे। यह ड्रामा नहीं तो क्या है? वक्फ बोर्ड की मीटिंग में बोतल उठाकर फेंक दी, यह ड्रामा नहीं तो और क्या था? नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी जी, जिन्होंने संसद में ईश्वर के नाम की शपथ नहीं ली, लेकिन भगवान की फोटो दिखा रहे थे। वक्फ बोर्ड की वोटिंग के समय पजामा और टी-शर्ट पहनकर आ गए थे, तो यह ड्रामा नहीं तो और क्या है?
संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत के संबोधन में PM @narendramodi जी द्वारा सभी दलों से अपील “शीतकालीन सत्र में पराजय की बौखलाहट को मैदान नहीं बनना चाहिए और ये शीतकालीन सत्र विजय के अहंकार में भी परिवर्तित नहीं होना चाहिए।
श्रीराम मंदिर के शिखर पर स्थापित धर्म ध्वजा संपूर्ण समाज राष्ट्र व विश्व के लिये एक प्रेरणा है। जहाँ तक इसके भगवा रंग पर यदि किसी को आपत्ति है तो भगवा भारत के राष्ट्रीय ध्वज में सबसे ऊपर स्थापित रंग है। हरा रंग हरियाली का प्रतीक है, यह एक सामान्य सार्वभौमिक तथ्य है; सफेद रंग शांति का प्रतीक है और यह भी एक सामान्य व सार्वभौमिक तथ्य है जो दुनिया के हर देश पर समान रूप से लागू है। पर भगवा रंग त्याग और बलिदान का प्रतीक है और यह केवल भारत के संदर्भ में ही है। हमारे तिरंगे में जो विशुद्ध भारतीयता का रंग है, जिसका सिर्फ भारत के साथ कनेक्शन है, वह भगवा रंग है। इसलिए हमारे संविधान निर्माताओं ने भगवा रंग को लिया और उसे सबसे ऊपर रखा। यही वही रंग है जो यज्ञ में ज्वालाओं का प्रतीक है। यही वही रंग है जब energy-mass conversion होता है तो अग्नि का रंग यही भगवा दिखाई पड़ता है। यही वही रंग है जो ऋषियों ने पहना था, यही वही रंग है जो भगवान बुद्ध ने पहना था। यही वही रंग है जो भगवान राम और भगवान कृष्ण के ध्वज पर था। सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य, सम्राट विक्रमादित्य से लेकर ललितादित्य मुक्तापीड से राजाराज चोल से लेकर छत्रपति शिवाजी महाराज, महाराणा प्रताप व गुरु गोविन्द सिंह जी के ध्वज तक यही भगवा है और फाँसी से पहले गीत गाते भगत सिंह इसी को बसंती चोला कहते थे। भगवा भारत के ओज का प्रतीक है, भारत के शौर्य का प्रतीक है। इसमें किसी को कौन-सी नकारात्मकता नजर आती है? Charcha With Chitra- एबीपी न्यूज पर लिंक - youtube.com/watch?v=3fDQy_…
आज लखनऊ के सहकारिता भवन में आत्मनिर्भर भारत संकल्प अभियान के अंतर्गत @bjp4up द्वारा आयोजित कार्यक्रम में प्रदेश उपाध्यक्ष एवं संयोजक आत्मनिर्भर भारत अभियान श्री बृज बहादुर जी, लखनऊ महानगर अध्यक्ष श्री आनंद द्विवेदी जी तथा लखनऊ अभियान के संयोजक श्री अभिषेक खरे जी के साथ सम्मिलित होकर कार्यक्रम पधारे महानुभावों को संबोधित किया। यह अभियान स्थानीय उत्पादों के प्रोत्साहन, युवा उद्यमिता, कौशल–तकनीक नवाचार तथा Vocal for Local के माध्यम से प्रधानमंत्री @narendramodi जी के आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को साकार करने का सशक्त प्रयास है। स्वदेशी उत्पाद, MSME, स्टार्टअप, कृषि आधारित उद्योग तथा स्थानीय निर्माण की भावना ही भारत को नई ऊँचाइयों की ओर अग्रसर कर रही है।
एक बात बहुत ही स्पष्ट समझनी चाहिए कि दुनिया में धर्म सिर्फ एक ही है, क्योंकि धर्म की जो परिभाषा है- “धृतिः क्षमा दमोऽस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रहः, धीर्विद्या सत्यमक्रोधो दशकं धर्मलक्षणम्।” मैं चैलेंज करके कहता हूं कि दुनिया में कोई दूसरा रिलिजन, मजहब, मत-पंथ बता दीजिए जो धर्म की यह इस डेफिनेशन देता हो और उस पर खरा उतरता हो। जिस धर्म की हम बात कर रहे हैं, वह धर्म तो संविधान-निर्माताओं का था। पहले मैं महात्मा गांधी जी को कोट करना चाहता हूं, जिन्होंने अपनी किताब हिंद स्वराज में लिखा, “आज की लड़ाई ब्रिटिश द्वारा स्थापित की जा रही आधुनिक सभ्यता और भारत की प्राचीन सभ्यता के बीच है।” उन्होंने ब्रिटिश सभ्यता को शैतानी सभ्यता कहा। उन्होंने यह भी कहा कि यह जो हमारी प्राचीन सभ्यता है, This is the civilization of God. अगर हम मुक्ति की बात करते हैं तो We want to become English without Englishmen. यह स्वराज्य नहीं हो सकता। अगर ऐसा होता है तो हिंदुस्तान नहीं होगा, यह इंग्लिशस्तान होगा। आज प्रधानमंत्री जी ने भी तो यही बात कही कि अगर मैकाले मानसिकता का वायरस निकालेंगे, तब गांधी जी का स्वराज सिद्ध होगा। इसी कारण गांधी जी ने अपना राजनैतिक दर्शन ‘रामराज्य’ माना था। उनका नित्य का भजन ‘रघुपति राघव राजा राम’ था और उनके अंतिम शब्द ‘हे राम’ थे। भारत के एकमात्र नेता जिनकी समाधि पर ‘राम’ लिखा है। यदि उन राम का प्रतीक आज वास्तविकता में देखा जाए तो पूर्ण सम्मान के साथ आकाश की ऊंचाई पर जाकर वह आदर्श स्थापित हुआ है, तो वह आज हुआ है।
रामलला मंदिर के शिखर पर लगाई जाने वाली धर्म ध्वजा उस धर्म का प्रतीक है जिसने भारत को धारण कर रखा है, जिसने संपूर्ण संसार को धारण कर रखा है। संस्कृत में एक-एक शब्द का बहुत ही गहरा अर्थ है। इसलिए समझना चाहिए कि धर्म की परिभाषा ‘ध’ धातु से है, यानी धारण करना। धैर्य शब्द, धरती शब्द और धर्म शब्द भी इसी से बने हैं। जिसे कहते हैं धारयति इति धर्मः यानी वह तत्व जिसने संपूर्ण संसार, ब्रह्मांड को धारण किया हुआ है, वही धर्म है। और उसी की ध्वजा आपको उन कर्तव्यों का ध्यान दिलाती है जो इस संसार को चलाए रखने के लिए आवश्यक हैं। ध्वजा में क्या है? ॐ है- यानी एटरनल वॉइस; सूर्य है- ऊर्जा का प्रतीक; और कोविदार का वृक्ष है- जो प्रकृति का प्रतीक है। रंग क्या है? भगवा, जो अग्नि का प्रतीक है। अगर आइंस्टीन ने एनर्जी मास कन्वर्जन की इक्वेशन दी है, तो केवल हमारा ही एक धार्मिक संस्कार ऐसा है जिसमें मास कन्वर्ट्स इन टू एनर्जी, और हमारा ही अंतिम संस्कार एक ऐसा है जहां मास कन्वर्ट्स इन टू एनर्जी। तो यह भगवा रंग उसी एनर्जी मास कन्वर्जन की उस एनर्जी का प्रतीक है। इसी रंग को देखकर पूरा भारत एकाकार होता है। आज ध्वजा को देखकर जो भाव उत्पन्न होता है, वह इस प्रकार है - जन-जन के मन में राम रमे, और प्राण-प्राण में सीता है। हर हृदय की धड़कन रामायण, पग-पग पर बनी पुनीता है। यदि राम नहीं हैं श्वासों में, तो प्राणों का घट रहता है। नर-नाहर श्री पुरुषोत्तम का, हम मंदिर भव्य बनाएंगे। सौगंध राम की खाते हैं हम, भारत को भव्य बनाएंगे।
आज शिखर पर धर्म ध्वज यह, लहर-लहर लहराता है। जाति प्रांत और वर्ग भेद के, भ्रम को दूर भगाता है। अनेकता में एक्य मंत्र यह, जन जन फिर अपनाता है। देखो प्यारा देश हमारा, नव स्वरूप अपनाता है। आज शिखर पर धर्म ध्वज यह, लहर-लहर लहराता है। जय श्री राम
जय श्रीराम 🚩 अद्भुत, आलौकिक, अप्रतिम! श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की मनोहारी छटा...🙏🏻
स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया के द्वारा चुनावों को संपन्न करवाने के प्रयासों को लेकर जिस प्रकार का निंदनीय प्रयास और घातक आघात कुछ इंडी गठबंधन के राज्यों द्वारा किया जा रहा है, वह चिंता का विषय है। मीडिया में प्राप्त समाचारों के अनुसार झारखंड के एक मंत्री इरफान अंसारी खुलेआम कहते हैं कि यदि कोई चुनाव आयोग का बूथ लेवल ऑफिसर सिर्फ आपसे जानकारी लेने के लिए आए तो उसे बंधक बना लो। मैं पूरी विनम्रता, दृढ़ता और कष्ट के साथ इंडी गठबंधन वालों से पूछना चाहता हूं यह लोकतंत्र को बंधक बनाने का निंदनीय प्रयास है या नहीं? आपके नेता खुलेआम इस प्रकार का आह्वान कर रहे हैं, इससे संविधान खतरे में है या नहीं? एक बार फिर देश को याद आता है कि जहां-जहां इंडी गठबंधन के लोग सत्ता में आते हैं, वहां संविधान की भावना को दरकिनार कर दिया जाता है, किसके लिए? कुछ संदिग्ध स्त्रोतों से वोट प्राप्त करके सत्ता पर कब्जा करने के लिए। पश्चिम बंगाल में इससे भी अधिक गंभीर और खतरनाक स्थिति सामने आती है। वहां टीएमसी के ब्लॉक लेवल एजेंट जमीरुल इस्लाम मुल्ला पर यह आरोप है कि वह सीधे बीएलओ को फोन पर धमका रहे हैं। हम यह पूछना चाहते हैं कि यह परिस्थिति क्यों उत्पन्न हो रही है? क्या यह इसलिए उत्पन्न नहीं हो रही है कि केंद्र में स्वयं नेता प्रतिपक्ष सीधे इस चुनावी मतदाता सूची के संशोधन पर अनर्गल और निराधार आरोप लगाते हैं और पश्चिम बंगाल की सीएम परोक्ष रूप से भड़काने वाले बयान देती हैं? यह दोनों ही लोग संवैधानिक पदों पर बैठे हुए हैं। यह साफ दर्शाता है कि संवैधानिक व्यवस्था और चुनाव को पारदर्शी होने देने के प्रयास में यदि कोई सबसे बड़ी बाधा है, तो वह इंडी गठबंधन के दल हैं। My Press Conference today @BJP4India Head Office youtube.com/watch?v=ebNtP1…